Tea Farming Bihar : अगर आप भी बिहार राज्य के किसान हैं तो आप सभी किसान भाइयों के लिए यह खबर बहुत ही काम का हो सकता है। ऐसे में यह खबर को अंत तक जरूर पढ़ते रहें ताकि आपको पूरी जानकारी विस्तार से पता चल सके।
Tea Farming Bihar : बिहार के इन जिलों में चाय की खेती का विस्तार करने के लिए कृषि विभाग ने तैयार किए योजना
आपको बता दे की कृषि विभाग ने अररिया सुपौल पूर्णिया और कटिहार जिले में चाय की खेती का विस्तार करने के लिए योजना तैयार किए हैं। बता दे की इन जिलों में चाय की खेती करने वाले किसानों को अनुदान की राशि दिए जाएंगे। आप लोगों को बता दें कि अब तक राज्य में मूलत: किशनगंज में ही चाय की खेती हो रहे हैं। ऐसे में किशनगंज के आसपास के जिलों में भी चाय की खेती के अनुकूल पाए गए हैं। आप सभी को बता दें कि कृषि विभाग ने इन चार जिलों में चाय की खेती का विस्तार करने की स्कीम तैयार किए हैं। ऐसे में चाय किसानों को न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर और अधिकतम 4 हेक्टेयर के लिए किसानों को अनुदान मिलेंगे।
Tea Farming Bihar : चाय की खेती के लिए किसानों को सरकार देंगे अनुदान की राशि
आप सभी को बता दें कि चाय की खेती में जमीन के समतलीकरण, गड्ढा निर्माण, पौधारोपण सामग्री एवं अन्य कार्यों पर प्रति हेक्टेयर 4 पॉइंट 94 लख रुपए खर्च आएंगे। बता दे कि इसमें 50 फ़ीसदी पैसा सरकार देंगे आप लोगों को आप लोगों को बता दें कि 2.47 लाख रुपए सरकार प्रति हेक्टेयर अनुदान दो किस्तों में किसानों को मिलेंगे। बता दें कि 2.47 लाख में 75 फ़ीसदी प्रथम किस्त के रूप में भुगतान किए जाएंगे
बाकी शेष 25 फ़ीसदी चाय के पौधों के 90 फ़ीसदी जीवित रहने पर दिया जाएगा। वही एक हेक्टेयर में चाय की खेती के लिए 15526 पौधे की आवश्यकता होगी बता दें कि सरकार की ओर से इस स्कीम पर 9 करोड़ 49 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।
Tea Farming Bihar : वर्तमान समय में किशनगंज में 11 फैक्ट्रियां हैं चाय की
आप सभी को बता दें कि वर्तमान समय में किशनगंज में ही चाय की खेती होते हैं और किशनगंज में आज के समय में 11 फैक्ट्रियां हैं। लेकिन यहां चाय की खेती की जो क्षमता है वह नहीं हो रहे हैं। इसीलिए इस क्षमता को बढ़ाने हैं आपको बता दें कि इतना ही नहीं आसपास के अन्य जिलों में भी भौगोलिक स्थिति यही है। इसीलिए कटिहार, मधेपुरा, पूर्णिया, सहरसा, सुपौल आदि कोसी के जिलों में इसकी खेती शुरू किए जाएंगे।
और यहां की संभावनाओं के अनुसार उसे बढ़ावा दिए जाएंगे । बता दें कि इसमें टी बोर्ड ऑफ इंडिया और टीवी रिसर्च एसोसिएशन के साथ मिलकर भी काम किए जाएंगे। बाद में हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर आदि में भी कम होंगे।